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Showing posts from August, 2021

अभ्यावहति कल्याणं श्लोक का अर्थ

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  *अभ्यावहति कल्याणं विविधं वाक् सुभाषिता।* *सैव दुर्भाषिता राजन् अनर्थायोपपद्यते॥* अर्थात - मीठे शब्दों में बोली गई बात हितकारी होती है और उन्नति के मार्ग खोलती है लेकिन यदि वही बात कटुतापूर्ण शब्दों में बोली जाए तो दुःखदायी होती है और उसके दूरगामी दुष्परिमाण होते हैं। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

मातृष्वसा मातुलानी श्लोक का अर्थ

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 *मातृष्वसा मातुलानी* *श्वश्रूरथ पितृस्वसा।* *संपूज्या गुरुपत्नीवत्* *समास्ता गुरुभार्यया।।* अर्थात - मौसी, मामी, सास और बुआ यह सब गुरुपत्नी (गुरुमाता) जैसी पूज्या हैं; अतः गुरुपत्नीवत् इन सभी का आदरसत्कार करना चाहिये। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोक का अर्थ

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  *बलवानप्यशक्तोऽसौ* *धनवानपि निर्धनः।* *श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ* *यो धर्मविमुखो जनः।।* अर्थात् - जो व्यक्ति धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है वह (व्यक्ति) बलवान् हो कर भी असमर्थ, धनवान् हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी होकर भी मूर्ख होता है। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

Shivratri image

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 शिवरात्रि के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

सन्तापाद् भ्रश्यते रुपं श्लोक का अर्थ

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  *सन्तापाद् भ्रश्यते रुपं* *सन्तापाद् भ्रश्यते बलम्।* *सन्तापाद् भ्रश्यते ज्ञानं* *सन्तापाद् व्याधिमृच्छति॥* अर्थात - शोक करने से रूप -सौंदर्य नष्ट होता है, शोक करने से पौरुष नष्ट होता है, शोक करने से ज्ञान नष्ट होता है और शोक करने से मनुष्य का शरीर दुःखो का घर हो जाता है, अतः शोक करना त्याज्य है। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

न केवलं कृष्ण सुमाञ्जलिं मम् श्लोक का अर्थ

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  न केवलं कृष्ण सुमाञ्जलिं मम्  गृहाण गन्धान्धितष्ट्पदावलीम्।  अनेकदुष्कर्मविदूषिताङ्गुलि  निजे करे मेऽपि करद्रयम् कुरु ॥ हे कृष्ण, मेरी इस अंजलि भर को मत ग्रहण करना जिसमें सुगन्ध की अधिकता से भौंरों को उन्मत्त कर देने वाले फूल भरे हैं, बल्कि मेरी इन हथेलियों को भी अपने हाथों में ले लेना जिनकी उँगलियाँ अनेक दुष्कर्मों से दूषित हैं।

पंच त्वाऽनुगमिष्यन्ति यत्र यत्र गमिष्यसि श्लोक का अर्थ

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  पंच त्वाऽनुगमिष्यन्ति यत्र यत्र गमिष्यसि। मित्राण्यमित्रा मध्यस्था उपजीव्योपजीविनः॥ अर्थात - पाँच लोग छाया की तरह सदा आपके पीछे लगे रहते हैं। ये पाँच लोग हैं - मित्र, शत्रु, उदासीन, शरण देने वाले और शरणार्थी ।                                         मङ्गलं सुप्रभातम्