बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोक का अर्थ


 

*बलवानप्यशक्तोऽसौ*

*धनवानपि निर्धनः।*

*श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ*

*यो धर्मविमुखो जनः।।*


अर्थात् - जो व्यक्ति धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है वह (व्यक्ति) बलवान् हो कर भी असमर्थ, धनवान् हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी होकर भी मूर्ख होता है।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

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