गन्धेन गावः पश्यन्ति वेदैः पश्यन्ति ब्राह्मणाः shlok ka arth


 

गन्धेन गावः पश्यन्ति वेदैः पश्यन्ति ब्राह्मणाः।

चारैः पश्यन्ति राजान: चक्षुर्भ्यामितरे जनाः॥


अर्थात - गायें गंध से देखती (विशिष्ट ज्ञान अर्जित करती) हैं, ज्ञानी लोग वेदों से देखते (विशिष्ट ज्ञान अर्जित करते) हैं, राजा गुप्तचरों से देखते (विशिष्ट ज्ञान अर्जित करते) हैं तथा जनसामान्य नेत्रों से देखते हैं।


मङ्गलं सुप्रभातम्

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