पंचतंत्र - उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये श्लोक का अर्थ


 

उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये । 

पयः पानं भुजङ्गानां केवलं विषवर्धनम्।।


मूर्खो का क्रोध उन्हें उपदेश देने से शांत नहीं होता हैं अपितु अधिक बढ़ जाता हैं और वे उपदेश देने वाले को ही हानि पहुंचा सकते हैं। | जिस प्रकार से सांपो को दूध पिलाने से उनके विष की ही बृद्धि होती हैं।


(पंचतंत्र)

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