षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छिता श्लोक का अर्थ


*षड् दोषा: पुरुषेणेह*

*हातव्या भूतिमिच्छिता।* 

*निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधम्*

*आलस्यं दीर्घसूत्रता॥*


अर्थात - संसार में उन्नति के अभिलाषी व्यक्तियों को नींद, तंद्रा (ऊँघ), भय, क्रोध, आलस्य तथा देर से काम करने की आदत - इन छह दुर्गुणों को सदा के लिए त्याग देना चाहिए।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

 

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