लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् क्रुद्धमञ्जलिकर्मणा shlok ka arth
सुभाषितम्
लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् क्रुद्धमञ्जलिकर्मणा ।
मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च तत्वार्थेन च पण्डितम्॥
भावार्थ - लोभी मनुष्य को धन का प्रलोभन देकर वश किया जा सकता है। क्रोधित व्यक्ति के साथ नम्र भाव रखकर उसे वश किया जा सकता है। मूर्ख मनुष्य को उसके इच्छानुरूप व्यवहार करके वश कर सकते है तथ ज्ञानी व्यक्ति को मुलभूत तत्व बताकर वश कर सकते है।
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