*अभ्यावहति कल्याणं विविधं वाक् सुभाषिता।* *सैव दुर्भाषिता राजन् अनर्थायोपपद्यते॥* अर्थात - मीठे शब्दों में बोली गई बात हितकारी होती है और उन्नति के मार्ग खोलती है लेकिन यदि वही बात कटुतापूर्ण शब्दों में बोली जाए तो दुःखदायी होती है और उसके दूरगामी दुष्परिमाण होते हैं। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
*बलवानप्यशक्तोऽसौ* *धनवानपि निर्धनः।* *श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ* *यो धर्मविमुखो जनः।।* अर्थात् - जो व्यक्ति धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है वह (व्यक्ति) बलवान् हो कर भी असमर्थ, धनवान् हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी होकर भी मूर्ख होता है। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
*मातृष्वसा मातुलानी* *श्वश्रूरथ पितृस्वसा।* *संपूज्या गुरुपत्नीवत्* *समास्ता गुरुभार्यया।।* अर्थात - मौसी, मामी, सास और बुआ यह सब गुरुपत्नी (गुरुमाता) जैसी पूज्या हैं; अतः गुरुपत्नीवत् इन सभी का आदरसत्कार करना चाहिये। *🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
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