चित्तोद्वेगं विधायापि हरिर्यद्यत् करिष्यति श्लोक का अर्थ
*चित्तोद्वेगं विधायापि*
*हरिर्यद्यत् करिष्यति।*
*तथैव तस्य लीलेति*
*मत्वा चिन्तां द्रुतं त्यजेत॥*
अर्थात - चित्तोद्वेग में संयम रख कर और ऐसा मान कर कि श्रीहरि जो भी करेंगे वह उनकी लीला मात्र है सब शीघ्र ठीक हो जाएगा, चिंता को शीघ्र त्याग दें।
*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
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