संस्कृत गणेश जी श्लोक गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे श्लोक का अर्थ


 

*गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे।* *अपारकरुणापूरतरङ्गितदृशे नमः॥*


अर्थात - विघ्नरूप अन्धकार का नाश करनेवाले, अथाह करुणारूप जलराशि से तरंगति नेत्रों वाले गणेश नामक ज्योतिपुंज को नमस्कार है।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

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