चिरकारी हि मेधावी नापराध्यति कर्मसु श्लोक का अर्थ
सुभाषितम्
चिरकारी हि मेधावी नापराध्यति कर्मसु ।
चिरेण सर्वकार्याणि विमृश्यार्थान्प्रपद्यते ॥
भावार्थ - कुछ देर से किन्तु सोच समझकर काम करनेवाला मनुष्य के काम में कभी गलत नहीं होता तथा काम के हर पहलू पर विचार करने से उसे जो करना होता हैं वह सब वो करता है, इसलिए कोई भी कार्य पूर्ण सोच विचार कर करना चाहिए।
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