षण्णामात्मनि नित्यानाम् ऐश्वर्यं योऽधिगच्छति श्लोक का अर्थ
*षण्णामात्मनि नित्यानाम्*
*ऐश्वर्यं योऽधिगच्छति।*
*न स पापैः कुतोऽनर्थै:*
*युज्यतेविजितेन्द्रियः॥*
अर्थात - जो व्यक्ति मन में घर बनाकर रहने वाले काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद (अहंकार) तथा मात्सर्य (ईष्या) नामक छह शत्रुओं को जीत लेता है, वह जितेंद्रिय हो जाता है। ऐसा व्यक्ति दोषपूर्ण कार्यों, पाप-कर्मों में लिप्त नहीं होता।
*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
Comments
Post a Comment