आत्मनाऽत्मानमन्विच्छन्-मनोबुद्धीन्द्रियैर्यतैः श्लोक का अर्थ
*मनोबुद्धीन्द्रियैर्यतैः।*
*आत्मा ह्येवात्मनो बन्धु:*
*आत्मैव रिपुरात्मनः॥*
अर्थात - मन-बुद्धि तथा इंद्रियों को आत्म-नियंत्रित करके स्वयं ही अपने आत्मा को जानने का प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि आत्मा ही हमारा हितैषी और आत्मा ही हमारा शत्रु है।
*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
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