असन्त्यागात् पापकृतामपापांस् श्लोक का अर्थ


 

*असन्त्यागात् पापकृतामपापांस्-*

*तुल्यो दण्डः स्पृशते मिश्रभावात्।*

*शुष्केणार्दं दह्यते मिश्रभावात्-*

*तस्मात् पापैः सह सन्धिं न कुर्य्यात्॥*


अर्थात् - दुर्जनों की संगति के कारण निरपराधी भी उन्हीं के समान दंड पाते है; जैसे सुखी लकड़ियों के साथ गीली लकडी भी जल जाती है। इसलिए दुर्जनों के साथ मैत्री नहीं करनी चाहिए।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

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