रोहते सायकैर्विद्धं वनं परशुना हतम् श्लोक का अर्थ


 *रोहते सायकैर्विद्धं*

*वनं परशुना हतम्।*

*वाचा दुरुक्तं बीभत्सं*

*न संरोहति वाक्क्षतम्॥*


अर्थात - बाणों से छलनी और फरसे से कटा गया जंगल पुनः हरा-भरा हो जाता है लेकिन कटु-वचन से बना घाव कभी नहीं भरता, अतः कटुवचन का परित्याग करना चाहिए।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

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