दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम् श्लोक का अर्थ


नीति वचन


दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम् । 

मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुषसंश्रयः ॥


मनुष्य जन्म, मुक्ति की इच्छा तथा महापुरूषों का संग, यह तीन चीजें परमेश्वर की कृपा से प्राप्त होती हैं।
 

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